बेटा हो तो ऐसा हो, अपने पिता की जान बचाने के लिए दान कर दिया अपना 65 फीसदी लीवर
हमारे जीवन में परिवार से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है। यह हम सभी जानते और समझते हैं। जी हां इस बात को अब एक बेटे नेसाबित क्र दिया है जिन्होंने अपने बीमार पिता को नई जिंदगी देकर एक मिसाल कायम की। जी हां, आपको बता दें की इस युवक के पिता का लीवर खराब था।
डॉक्टर ने कहा कि अब उनके पास ज्यादा समय नहीं है। ऐसे में लीवर ट्रांसप्लांट करना होगा। डोनर की बहुत जरूरत थी। इसे मे बेटे ने अपने पिता को 65 फीसदी लीवर दान कर सबका दिल जीत लिया है और अब इंस्टाग्राम पर ‘ह्यूमन ऑफ बॉम्बे’ पेज से कहानी शेयर की गई है, जिसे देखकर कई लोगों की आंखों में पानी आ गया. तो आइए जानते हैं पूरी कहानी।
‘ह्यूमन ऑफ बॉम्बे’ पेज के मुताबिक लड़का के मुताबिक ‘जब मुझे पता चला कि पापा का कलेजा खराब है तो मैं हैरान रह गया! उन्होंने कभी सिगरेट या शराब को हाथ तक नहीं लगाया।’ वहीं, जब डॉक्टर ने कहा, ‘बिना डोनर (ऑर्गन डोनर) के उनके पास सिर्फ 6 महीने बचे हैं।’ तो मैं असहाय महसूस कर रहा था। पापा ने मुझसे कहा, ‘मैं मरना नहीं चाहता। मैं तुम्हें स्नातक पास करता देखना चाहता हूं। ‘घर का माहौल बदल गया था,’ हर कोई परेशान था
जब मैं अकेला था तो बहुत रोया था। क्योंकि मेरे पिता को मेरी जरूरत थी और मैं उनके साथ नहीं था। इसके साथ ही लड़के ने आगे कहा, ‘लेकिन मेरे ठीक होने के बाद पापा को वायरस हो गया! उन्हें नियमित रूप से अस्पताल ले जाया गया। मैं उन्हें अब इस तरह से लड़ते हुए नहीं देख सकता! इसलिए मैंने अपने परिवार से कहा कि मैं उन्हें बचाने जा रहा हूं और मैं अपना कलेजा उन्हें दान कर दूंगा!’
उन्होंने आगे कहा, ‘सौभाग्य से मेरा लीवर मैच कर गया, लेकिन वह मोटा था। मुझे अपने लीवर का 65 प्रतिशत हिस्सा उन्हें दान करना पड़ा। इसलिए मैंने व्यायाम किया और खाने-पीने का विशेष ध्यान रखा। कुछ परीक्षणों के बाद, मुझे बताया गया कि मैं सर्जरी के लिए फिट हूँ! मुझे राहत मिली, लेकिन मेरे पिताजी रोए! उन्होंने मुझसे कहा यदि तू आगे बढ़कर विपत्ति में पड़ जाए तो क्या होगा? मैं खुद को माफ नहीं कर सकता! लेकिन मैंने उससे कहा, तुम्हारी लड़ाई भी मेरी है। हम हारने वाले नहीं हैं! हमने अपनी बचत का 20 लाख सर्जरी पर निवेश किया।!’
आपने मुझे दुनिया का सबसे खुश पिता बनाया! अब हमें बस एक और परीक्षा पास करनी थी और मैं प्रार्थना कर रहा था कि सर्जरी सुचारू रूप से चले।’ जब मैं सर्जरी के बाद उठा तो डॉक्टर ने मुझे देखकर मुस्कुराया और कहा, तुमने अपने पिता को बचा लिया! मेरी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। जब मैंने और पापा ने एक-दूसरे के जख्मों को देखा तो उन्होंने कहा, ‘हमने मिलकर यह लड़ाई लड़ी और जीती! महीनों से जो तनाव हमने महसूस किया था वह दूर हो गया!
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