CDS Bipin Rawat : बहुत दिल वाले थे बिपिन रावत अपनी सैलरी से हर महीने 50,000 रुपए कर देते थे दान, साल भर में 6 लाख रुपए दान में दिए
जनरल रावत का भारतीय सेना से चार दशकों से भी ज्यादा का जुड़ाव रहा है। काउंटरइंसर्जेंसी में उनके बेहतरीन अनुभव को देखते हुए ही सरकार ने उन्हें पहला सीडीएस नियुक्त किया था। जब देश में कोरोना महामारी की शुरुआत ही हुई थी, तभी जनरल रावत उन चुनिंदा लोगों में शामिल हुए, जिन्होंने देशवासियों की मदद के लिए अपनी सैलरी से योगदान देने का फैसला किया था।
कोरोना की पहली लहर की बात है। दुनिया को कुछ भी अंदाजा नहीं था कि यह जानलेवा वायरस आगे क्या दिन दिखाने वाला है। उस समय कोविड-19 रिलीफ के लिए पीएम केयर्स फंड बनाया गया था। जो भी चाहे देश की जनता को राहत देने के लिए इसमें अपनी स्वेच्छा से दान दे सकता था। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत उन पहले लोगों में से थे, जिन्होंने सबसे शुरुआत में इस फंड के लिए अपनी ओर से योगदान देना शुरू कर दिया था। जनरल रावत हर महीने अपनी सैलरी से पीएम केयर्स फंड में 50,000 रुपए बतौर दान देने लगे। पीएम मोदी ने पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए इस फंड की स्थापना की थी।
भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर बुधवार को तमिलनाडु के नीलगिरी की पहाड़ियों के जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हेलीकॉप्टर पर जनरल रावत और उनके परिवार के कुछ सदस्यों के अलावा सेना के लोग सवार थे। हादसा बहुत ही मुश्किल इलाके में हुआ था। वायुसेना ने दुर्घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
पिछले साल मई में सेना के अधिकारियों ने जनरल रावत के फैसले के बारे में बताया कि उन्होंने अप्रैल, 2020 से ही यह योगदान देना शुरू कर दिया है और 2021 के मार्च तक यानी पूरे एक साल वह इसमें योगदान देंगे। सेना के अधिकारियों ने तब कहा था, ‘मासिक योगदान उनकी कुल सैलरी का 20 प्रतिशत है। कुल मिलाकर वह पीएम-केयर्स फंड में 6 लाख रुपए दान करेंगे।’ यानी उस वक्त जनरल रावत की कुल सैलरी 2.5 लाख रुपए थी और उनमें से एक बड़ा हिस्सा, वे कोविड के खिलाफ युद्ध के लिए देते रहे। इससे पहले मार्च, 2020 में ही उन्होंने रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं के सामूहिक फैसले के तहत अपनी एक दिन की सैलरी प्राइम मिनिस्टर्स सिटिजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन फंड-पीएम केयर्स में दान किया था।