यहाँ बच्चियों की काली माँ के रूप में करते हैं पूजा, जिंदगीभर इस वजह से रहती है कुंवारी
भारत देश में नवरात्रि के मौके पर छोटी बच्चियों को देवी के रूप में पूजा जाता है और ये प्रथा काफी लम्बे समय से चली आ रही है. हमारे देश में बच्चियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है. ऐसा सिर्फ भारत में ही नही पड़ोसी मुल्क नेपाल में भी बच्चियों की पूजा की जाती है.
हमारे यहाँ बच्चियों को लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है जबकि नेपाल में छोटी बच्चियों को काली के रूप में पूजा जाता है, यहाँ बच्चियों को काली का रूप माना जाता है. नेपाल में ये परम्परा काफी समय से चली आ रही है. नेपाल में इन कुमारी देवियों की अलग से चयन प्रक्रिया होती है। अगर किसी बच्ची को देवी के लिए चुना जाता है तो उसकी कुंडली में 32 गुण होने जरूरी हैं.
बच्चियों का देवी के चयन से पहले लोग राक्षस का मुखौटा पहनकर उसके सामने नृत्य करते हैं। यदि बच्ची बिना डरे इन सारी परिस्थितियों का सामना निडरता से कर लेती है तो उसे कुमारी देवी माना जाता है।
कुमार देवी बनने के लिए बच्चियों की 32 चरणों में परीक्षा ली जाती है. अगर वो पास हो जाती हैं तो उनको देवी के रूप में पूजा जाता है और परिवार से भी अलग कर लिया जाता है.
कुमार देवी बनने के बाद बच्ची जिन्दगी भर शादी नही करती है और कुवांरी रहती है, कुमार देवी अधिकतर घर में ही रहती है और जब भी बाहर निकलती हैं तो उनका पांव जमीन पर नही रखने दिया जाता है.
नेपाली मान्यताओं के अनुसार यदि कोई पुरूष इन पूर्व कुमारी देवी से शादी करता है तो उसकी जल्द ही मौत हो जाती है। इसलिए ये जिन्दगी भर कुवारी रहती हैं.