टीम इंडिया के स्टार बॉलर उमेश यादव 35 साल के हो गए हैं। बेहद गरीबी और साधारण परिवेश में पले-बढ़े उमेश ने तरक्की पाने के लिए मुश्किलों से भरा लंबा सफर तय किया है। उमेश का जन्म नागपुर में वेस्टर्न कोलफील्ड्स में काम करने वाले तिलक यादव के घर 25 अक्टूबर 1987 को हुआ। घर में दो बेटियां और एक बेटा पहले से थे। उन्होंने काफी कठिनाई के बीच बच्चों को बड़ा किया। पुलिस में नहीं लगी नौकरी…
– उमेश के पिता तिलक मूल रूप से उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले के छोटे से गांव के रहने वाले हैं, लेकिन कोयला खदान में नौकरी के कारण नागपुर के पास खापरखेड़ा गांव में रहते थे। इस गांव को खदान में काम करने वाले लोगों के नाम से जाना जाता है।
– उमेश के पिता तिलक की इच्छा थी कि उनका कोई एक बच्चा तो कॉलेज पढ़े, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से ये नहीं हो सका।
– क्रिकेट में स्टार बनने से पहले उमेश के पिता चाहते थे कि उनके बेटा पुलिस या सेना में नौकरी करे। पिता के कहने पर उमेश ने भी सरकारी नौकरी के लिए खूब कोशिशें कीं। कद काठी इन दोनों नौकरियों के लायक थी, पर किस्मत ने साथ नहीं दिया।
– सारी कोशिशों से निराश होने के बाद उमेश ने पिता को क्रिकेट में करियर बनाने का अपना फैसला बता दिया। इसके बाद वे टेनिस बॉल छोड़ लेदर बॉल से विदर्भ के लिए खेलने लगे।
– 2008 में पहली बार यादव को रणजी ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला। मैच की पहली इनिंग में उन्होंने 75 रन देकर चार विकेट लिए। फिर इसी परफॉर्मेंस के दम पर दलीप ट्रॉफी में मौका मिला।
– IPL 2010 में उमेश को दिल्ली डेयरडेविल्स ने 18 लाख रुपए में खरीदा। इसके बाद घर में पैसों की कोई कमी नहीं रही। 2010 में उन्होंने वनडे और 2011 में टेस्ट डेब्यू किया।
– स्टार क्रिकेटर बनने के बाद कुछ ही महीनों पहले उमेश रिजर्व बैंक में अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए हैं। जिसके बाद उनके पिता का सरकारी नौकरी वाला सपना भी पूरा हो गया।
आज भी जाते हैं अपने गांव वाले घर
– कभी गरीबी के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर सके उमेश आज इंडिया के स्टाइलिश क्रिकेटर्स में से एक हैं।
– स्टार क्रिकेटर बनने के बाद भी उमेश, नागपुर के पास खापरखेड़ा में पेरेंट्स, दो बड़े भाइयों के साथ रहते हैं। यहां उनका डबल स्टोरी घर है।
– आज भी जब वो क्रिकेट से फ्री होते हैं तो फिटनेस के लिए खेत में पिता के साथ काम करते हैं।