भारतीय क्रिकेट टीम आज सफलता के जिस मुकाम पर है, उसमे सबसे बड़ा योगदान सौरव गांगुली का माना जाता है। क्योकि, जिस वक्त भारतीय टीम अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही थी और मैच फिक्सिंग जैसे कई गंभीर आरोप लग रहे थे तब सौरव गांगुली ने भारतीय टीम की कमान अपने हाथो में ली थी। जिसके बाद इन्होने अपने नेतृत्व में एक मजबूत टीम तैयार की और अपने खिलाड़ियों को दुनिया के हर क्रिकेट ग्राउंड पर खेलना और जीतना सिखाया।
वही वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, महेंद्र सिंह धोनी, जाहिर खान और हरभजन सिंह ये वो खिलाड़ी जिनका क्रिकेट कैरियर बनने में सौरव गांगुली का अहम योगदान रहा। और इनकी मदद से ही गांगुली ने भारत को कई वनडे और टी 20 मैचो में सफलता दिलाई। इसके बाद साल 2008 में इन्होने क्रिकेट से संन्यास ले लिया और अब गांगुली BCCI के अध्यक्ष है।
अब कई सालो के बाद सौरव गांगुली ने सचिन तेंदुलकर, मोहम्मद अजहरुद्दीन और राहुल द्रविड़ से खुद की तुलना को लेकर एक बड़ा ब्यान दिया है। जी हां, सौरव गांगुली ने कहा की मैंने इन सितरो के साथ अपनी कभी भी तुलना नहीं की है और ना मेरा उन सबके साथ कोई मुकाबला था। मैंने तो अपनी जिम्मेदारियों को निभाया है।
सौरव गांगुली ने अपने ब्यान के कहते है की, एक कप्तान और एक लीडर में अंतर होता है। कोई भी कप्तान अपने जूनियर और सीनयर खिलाड़ियों अपनी लीडरशिप में कैसे विश्वास कायम करता है इसमें अंतर होता है। गांगुली का कहना है की मैंने इन सभी लीजेंड के साथ क्रिकेट खेला है लेकिन इनके साथ कभी अपनी तुलना नहीं की। मैंने तो सबका सहयोग किया और अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपना काम किया।
सौरव गांगुली आगे कहते है की, उस वक्त हमारे खिलाडियों ने प्रतिभा की कमी नहीं थी लेकिन यदि आपको कुछ हासिल करना है तो जोखिम भी उठाना पड़ता है। मैं बहुत भाग्यशाली हुई की मैंने कई महान खिलाडियों के साथ क्रिकेट खेला है। मैंने उनके साथ क्रिकेट खेला जो कभी भी कप्तान बन सकते थे।
बता दे की सौरव गांगुली भारत के तीसरे सबसे सफल टेस्ट कप्तान हुए है, इनकी कप्तानी में भारत ने 49 मैच खेले जिनमे से 21 मैचो में सफलता हासिल की और 13 मैचो में हार का सामना किया। जबकि 15 मुकाबले ड्रा भी हुए। इसके अलावा इन्होने 140 ODI मैचो में भारत की कप्तानी की जिनमे से 70 मैच जीत 65 हारे और बाकी 5 मैच बेनतीजा रहे।