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मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को वर्चुवल माध्यम से आयोजित राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन एवं गंगा नदी घाटी प्रबन्धन और अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित पंचम वाटर इम्पेक्ट शिखर सम्मेलन में प्रतिभाग किया।


इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड गंगा का उद्गम क्षेत्र है। गंगा 6 राज्यों से होते हुए लगभग 2500 कि0मी0 यात्रा तय कर गंगा सागर में मिलती है। गंगा जल के बिना जीवन का विचार ही निरर्थक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमे गंगा का वरदान प्राप्त है, गंगा भारत की संस्कृति भी है, जब हम गंगा की बात करते है तो इसमें मिलने वाली तमाम सहायक नदियों का भी हमें ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि हिमालय नदियो का श्रोत है। हमारे संत महात्माओ की संस्कृति भी इससे जुड़ी है। हमे अपनी इस सांस्कृतिक परम्परा का भी ध्यान रखना होगा इसमें कोई व्यवधान न हो इस पर विचार की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि टेरी की रिसर्च में  ऋषिकेश तक गंगाजल पीने लायक तथा हरिद्वार में स्नान करने के लिये उपयुक्त पाया गया है। उन्होंने कहा कि आगामी कुंभ मेले में लोग स्वच्छ गंगा में स्नान करके जाएं ऐसा हमने संकल्प लिया है, गंगा नदी अर्थव्यवस्था की संवाहक भी है, जिससे देश की 40 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को लाभ प्राप्त होता है। कृषि, पर्यटन एवं संस्कृति, ऊर्जा और जल निकायों के कार्याकल्प को विकसित करने हेतु अर्थ गंगा मॉडल विकसित किए जाने से हमारी जीडीपी दर का 03 प्रतिशत हिस्सा अर्थ गंगा से प्राप्त हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जल संचय एवं जल संरक्षण योजनाओं के प्रति विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रतिवर्ष 16 जुलाई को हरेला पर्व के अवसर पर व्यापक वृक्षारोपण किया जा रहा है। नदी पुनर्जीवीकरण योजना के तहत कोसी में शुरूआत में एक साथ 1.63 लाख तथा दूसरे वर्ष 13 हजार स्थानीय लोगों की सहभागिता से 2.65 लाख तथा देहरादून रिस्पना के क्षेत्र में 3.50 लाख वृक्षारोपण किया गया है। झीलों के पुनर्जीवीकरण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। पिछले कुम्भ मेले में प्रयाग कुम्भ मेलों में पर्याप्त पानी की उपलब्धता के लिये टिहरी डैम की उचाई 8 मीटर तक बढ़ाई गई। इससे गंगा में पर्याप्त जल उपलब्ध हो पाया था। उन्होंने कहा कि टिहरी डैम के कारण ही हम 2013 में आयी आपदा से कई शहरों को बचा पाने में सफल हो पाये हैं। देहरादून में 3.5 कि0मी0 लम्बे सौंग बांध का निर्माण किया जा रहा है, इससे आगामी 60 वर्षो तक देहरादून को 24 घण्टे पेयजल उपलब्ध होगा जबकि 100 करोड़ की विद्युत बचत होगी। इसके साथ ही राज्य में गैरसैंण, पिथौरागढ़ आदि जनपदों में इस प्रकार की झीलों का निर्माण एवं सुधारीकरण का कार्य किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है जहां 1 रूपये में घर घर नल योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल कनेक्शन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में गंगा के साथ ही नदियों एवं तालाबों के रिज्यूलेषन का कार्य किये जाने की जरूरत है, इसके लिये वृहत स्तर पर वृक्षारोपण ही उपाय है। इसमें भावी पीढ़ी को भविष्य में स्वच्छ जल उपलब्ध कराने में सफल हो पायेंगे। इससे अविरल एवं निर्मल गंगा अभियान भी सफल होगा तथा जन जागृति के साथ ही इसके परिणाम भी बेहतर हो पायेंगे।

इस अवसर पर केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री (स्वंतत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि गंगा से प्रकृति पर्यटन एवं ऊर्जा संस्कृति भी जुड़ी है। गंगा ईश्वर की श्रेष्ठ रचना है। गंगा को स्वच्छ बनाने के साथ ही इसके निरन्तर प्रवाह पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इसके किनारे संस्कृतियां पनपी है। यह हमारी आध्यात्मिक ऊर्जा का श्रोत है। इसके प्रदूषण को दूर करने से ही हम अपने सांस्कृतिक जीवन मूल्यों के प्रदूषण को कम करने में सफल हो सकेंगे। गंगा के महत्व को इसके तट पर आयोजित होने वाली कुंभ परम्परा है जिसमें लाखों लोग बिना आमंत्रण शामिल होकर कुंभ के विमर्श का माध्यम बनते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा हमारे सांस्कृतिक उत्थान का मेरूदण्ड है। साधकों को ऊर्जा देने वाली गंगा पर्यटको का भी आकर्षक का केन्द्र रही है। हमें गंगा को स्वच्छता एवं निर्मलता के लिये मिलकर प्रयास करने होंगे।

Journalist from Uttar Pradesh. At @News Desk he report, write, view and review Crcicket News. Can be reached at [email protected] with Subject line starting Umesh

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